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संकल्प से समृद्धि के नौ साल, अमृतकाल में उपलब्धि बेमिसाल
गृह मंत्री अमित शाह की बहु-आयामी रणनीतियों से नशे के कारोबार पर लगा लगाम, मादक पदार्थों की बरामदगी में हुई 30 गुना बढ़ोतरी
अमृतकाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नशामुक्त भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह की बहु-आयामी रणनीतियाँ नशीले पदार्थों के कारोबार को खत्म करने में कारगर साबित हो रही हैं।
मोदी जी के नेतृत्व और अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में वर्ष 2014 से वर्ष 2022 की अवधि के दौरान जितना ड्रग्स जब्त किया गया, उसका मूल्य यूपीए शासन के वर्ष 2006 से वर्ष 2013 के बीच जब्त किए गए ड्रग्स की तुलना में 30 गुना बढ़कर 22,000 करोड़ रुपये हो गया है। जहाँ गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की संख्या में तीन गुना की बढ़ोतरी हुई है, वहीं 3.73 लाख किलोग्राम ड्रग्स जब्त किए जा चुके हैं। साथ ही, पिछले 9 साल में कुल 3,544 मामले दर्ज किए गए हैं, जो वर्ष 2006 से वर्ष 2013 की अवधि के दौरान दर्ज की गई संख्या का लगभग दोगुना है। अवैध ड्रग्स की खेती को रोकने के लिए, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा पिछले तीन वर्षों में लगभग 36,000 एकड़ अफीम की खेती और 82,769 एकड़ भांग की खेती को नष्ट कर दिया है। साथ ही, दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में अवैध ड्रग्स की खेती की पहचान के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है।
ड्रग्स का कारोबार एवं उसका दुरुपयोग पूरे देश और समाज के लिए नासूर है। नशे की लत ना सिर्फ युवाओं के जीवन को निरर्थक बना देती है, बल्कि उन्हें देश और समाज के लिए बोझ बनाकर रख देती है। नशे के कारोबार से हुई कमाई का उपयोग आतंकवाद का वित्तपोषण करने और उसकी नींव को मजबूत करने के लिए भी किया जाता है। अर्थात नशे के कारोबार से आतंकवाद को फलने-फूलने का मौका मिलता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती है।
भारतीय राजनीति के चाणक्य अमित शाह के मार्गदर्शन में गृह मंत्रालय ने ‘मादक पदार्थों के खिलाफ शून्य-सहिष्णुता (जीरो टॉलरेंस) की नीति’ अपनाते हुए सहयोग, समन्वय और गठजोड़ के सिद्धांत पर एक त्रि-आयामी रणनीति तैयार की है। जिसके तहत केंद्रीय और राज्य ड्रग कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच बेहतर सामंजस्य और तालमेल सुनिश्चित करने के लिए संस्थागत ढाँचे को मजबूत किया गया है। साथ ही, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) कैडर का पुनर्गठन किया गया है, जो मादक पदार्थों, नार्को-फंडिंग और नार्को-टेरर मामलों से संबंधित एक विस्तृत राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने की दिशा में में तेजी से जुटा हुआ है।
देश में नशीले पदार्थों की 60-70 प्रतिशत तस्करी मुख्य रूप से समुद्री मार्ग से होती है। समुद्री मार्ग से तस्करी को खत्म करने के लिए अमित शाह के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में एक उच्च स्तरीय समर्पित कार्यबल का गठन किया गया है, जो समुद्री मार्ग से मादक पदार्थों की तस्करी का विश्लेषण करेगा। नशे के कारोबार से हुई कमाई की वित्तीय जाँच के अलावा एक पूर्ण ड्रग नेटवर्क चार्ट तैयार करने और ड्रग्स के स्रोत और गंतव्य का पता लगाने की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं।
दूसरी रणनीति के तहत शाह के दिशा-निर्देश में गृह मंत्रालय ने ‘संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण’ के तहत, केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर नार्को एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं, ताकि ये संस्थान एकजुटता और जवाबदेही के साथ काम कर सकें। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में समर्पित एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) इकाइयों का गठन किया गया है। अवैध ड्रग व्यापार में डार्क नेट और क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग को रोकने पर भी तेजी से काम चल रहा है।
भारतीय राजनीति की दशा और दिशा को बदल कर रख देने वाले अमित शाह ने नशे के खिलाफ लड़ाई में अपनी तीसरी रणनीति के तहत ड्रग्स के उपयोग के विरुद्ध आम लोगों को संवेदनशील बनाने पर जोर दिया है। देश भर की जनता से इस जन-जागरूकता भरी नीति को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। एनसीबी द्वारा शुरू किए गए ‘नशामुक्त भारत’ प्रतिज्ञा अभियान के तहत 30 लाख से अधिक लोगों ने ‘ई-शपथ’ के जरिए ड्रग्स के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई करने का संकल्प लिया है।
अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया को नियंत्रित करने के लिए ड्रग एनफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (डीईए), ऑस्ट्रेलियाई संघीय पुलिस (एएफपी) और रॉयल कैनेडियन माउंटेन पुलिस (आरसीएमपी) जैसी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय सुनिश्चित करना और 44 देशों के साथ द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर करना नशामुक्त भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में अमित शाह की दूरदर्शी सोच और उनकी रणनीतियों का अहम हिस्सा है।
नशामुक्त भारत के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में शाह ने जो बीज बोया, वो अब वटवृक्ष बन चुका है और उनकी नीतियों के बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं।